Monday, June 22, 2009

जै जयंति जै आदि सकति

जै जयंति जै आदि सकति जै कालि कपर्दिनी ।

जै मधुकैटभ - छलनि देवि जै महिषविमर्दिनि ।

जै चमुंड जै चंड मुंड भंडासूर खंडिनि ।

जै सुरक्त जै रक्तबीज बिड्डाल - विहंडिनि ।

जै जै निसुंभ सुंभद्दलनि भनि भूषन जै जै भननि ।

सरजा समत्थ सिवराज कहॅं देहि बिजय जै जग-जननि ॥

-कविराज भूषण

अर्थ :

हे आदिशक्ति ! हे कालिके ! हे कपर्दिनि (गौरी) ! हे मधुकैटभ महिषासूरमर्दिनि देवी ! हे चामुंड देवी ! हे भंडासूर्खंडिनी ! हे बिडाल विध्वंसिनी ! हे शुंभ-निशुंभ - निर्दालिनी देवी ! तुझा जयजयकार असो ! भूषण म्हणतो हे जगज्जननी ! सिंहासमान शूर अशा शिवरायास विजय देत जा...

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