Monday, June 22, 2009

कवी भूषणाने किल्ले रायगडाचे केलेले वर्णन

पम्पा मानसर आदि तलाब लागे
जेहिके परन मैं अकथ युग गथ के
भूषन यों साज्यो रायगढ सिवराज रहे
देव चक चाहि कै बनाए राजपथ के
बिन अवलम्ब कलिकानी आसमान मै है
होत बिसराम जहाँ इंदु औ उद्य के
महत उतंग मनि जोतिन के संग आनि
कैयो रंगचक हा गहत रविस्थ के

-कविराज भूषण

अर्थ :
जेथे निवास करि रायगढी नृपाळ
पंपासरोवर समान सरें विशाल
तेथील राजपथ सुन्दर पाहुनी ते
आश्चर्य होई हृदयी सुरदानवांते
आधारहीन रविचन्द्र नभी फिरुनी
घेतात विश्राम इथें रथ थाम्बवूनी
येथील हर्म्यमणिमाणिक दीप्तियोगे
रक्तप्रभा वरिति ती रविची अथांगे

No comments:

Post a Comment